पूरा देश चंद्रयान 3 (Chandrayaan 3) के सफल लांच की ख़ुशी मना रहा है और जोर-शोर से इसे सोशल मीडिया पे शेयर भी कर रहा है, अच्छी बात है होना भी चाहिए लेकिन इस ख़ुशी में एक बात नज़रअंदाज़ नहीं की जानी चाहिए देश इस वक्त महंगाई की मार झेल रहा है.
टमाटर के भाव बढे हैं, वहीँ हरी मिर्च, अदरक भी नाक उठाये हुए हैं.
मोदी जी जोर शोर से विदेशी दौरे पे हैं, पहले अमेरिका (America), मिस्र (Egypt), फ्रांस (France) और अब UAE, और भारत का विदेश में वर्चस्व बढ़ा रहे हैं, लेकिन इससे एक दिहाड़ी मज़दूर को क्या मतलब? वो मज़दूर जो 200-300 कमाने के लिए कमर तोड़ देने वाली मेहनत करता है उसे क्या मतलब है की बाइडन और मोदी के बिच क्या समझौते हुए?
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उस मज़दूर को तो बस एक चीज़ से मतलब है की शाम को घर जायेगा तो बच्चे मुंह ताक रहे होंगे, बीवी इंतज़ार कर रही होगी की सब्जी बनेगी तो परिवार बैठ के खाना खायेगा. लेकिन वो सब्जी इतनी महंगी है की एक मज़दूर तो छोड़िये, एक मिडिल क्लास परिवार भी खरीदने से पहले 10 बार सोचेगा।
टमाटर के भाव कहीं कहीं पे 150 रुपये किलो तक चले गए हैं, अदरक का भाव 60 रुपये हैं 100 ग्राम के लिए. सब्जियां तो ठीक है अगर कायदे से देखा जाए तो रसोई में इस्तेमाल होने वाली लगभग हर चीज़ महंगी हो गयी है जैसे, खाद्य तेल व् फल.
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Chandrayaan 3 Total Cost
610 करोड़ में बनाने वाले चंद्रयान 3 (Chandrayaan 3) के सफलता की ख़ुशी मनाई जानी चाहिए लेकिन ये भी ध्यान रखने वाली बात है की क्या इससे छोटे से छोटे वर्ग में रहने वाले उस इंसान का कैसे फायदा होगा जिसके जीवन का सिर्फ यही उद्देश्य की बस एक समय के भोजन का जुगाड़ हो जाए.
गांधी जी ने अपने जंतर में कहा भी है, “जो सबसे गरीब और कमजोर आदमी तुमने देखा हो, उसकी शकल याद करो और अपने दिल से पूछो कि जो कदम उठाने का तुम विचार कर रहे हो, वह उस आदमी के लिए कितना उपयोगी होगा”
मोदी जी को और प्रशाशन को ये ध्यान देना चाहिए की भारत की आबादी रात को भर पेट भोजन करके सोने जाए, वरना क्या फायदा चंद्रयान (Chandrayaan 3) का, राफेल (Rafale) का और KIA SELTOS का?
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